Tuesday, December 3, 2024

मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राणा का 71 वर्ष में हुआ निधन

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मुनव्वर राणा

मुनव्वर राणा का लंबे समय से बीमारी के बाद निधन 

मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राणा का लंबे समय से बीमारी के कारन रविवार की देर रात निधन हो गया। प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना पहले से ही शुगर, ब्लड प्रेशर व गुर्दे की पुरानी बीमारियों से पीड़ित थे। गुरुवार तड़के अचानक तबीयत खराब होने के बाद लखनऊ के प्राइवेट अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी सुमैया राणा ने बताया था कि उनके पिता मुनव्वर राणा को वेंटिलेटर पर रखा गया और उनकी हालत गंभीर है। इसके बाद जब उनकी हालत और खराब होने लगी तो उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां आज उनका निधन हो गया।

मुनव्वर राणा का जन्म 

मुनव्वर राणा का जन्म 1952 में भारत के उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन कोलकाता व पश्चिम बंगाल में बिताया।उनकी लिखी कविता शाहदाबा के लिए उन्हें 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।

मुनव्वर राणा को कुछ दिन पहले ही अस्पताल में कराया गया था भर्ती


मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने बीते गुरुवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे जारी एक वीडियो में कहा था कि पिछले दो-तीन दिनों से मेरे पिता की तबीयत बिगड़ रही है। डायलिसिस के दौरान उनके पेट में तेज दर्द हुआ। डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया और उनके पित्ताशय में कुछ समस्या पाई। फिर उनका ऑपरेशन किया। उर्दू शायर मुनव्वर राणा को उनकी कविता ‘शाहदाबा’ के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बिताया।

मुनव्वर राणा का उर्दू साहित्य में  योगदान


71 साल के शायर राणा पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। राणा को उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी गजलों के लिए व्यापक रूप से मान्यता मिली। उनकी काव्य शैली अपनी सुगमता के लिए उल्लेखनीय थी। वे फारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को पसंद आते थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता ‘मां’ थी, जो पारंपरिक गजल शैली में मां के गुणों को सामने लाती थी।

मुनव्वर राणा की रचनाओं का कई भाषाओं में हुआ अनुवाद

 

मुनव्वर राणा को मिले दूसरे पुरस्कारों में अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ। जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार शामिल हैं। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। राणा की भारत और विदेशों के मुशायरों में बड़ी उपस्थिति रहती थी। उनकी बेटी सुमैया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य हैं।

 

 

 

 


 

 

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