Wednesday, January 8, 2025

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का एचएमपीवी वायरस के संबंध में संदेश, देखे वीडियो

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का एचएमपीवी वायरस के संबंध में संदेश, देखे वीडियो

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का एचएमपीवी वायरस के संबंध में संदेश, देखे वीडियो

 

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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा की

देश में श्वसन संबंधी बीमारियों में कोई वृद्धि नहीं; ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए मजबूत निगरानी की व्यवस्था की गई है

राज्यों को निवारक उपायों के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई।

राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और उसकी समीक्षा करने को कहा गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कल वर्चुअल माध्‍यम से राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की और देश में श्वसन संबंधी बीमारियों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामलों में वृद्धि की मीडिया रिपोर्टों के बाद देश में ऐसे मामलों की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में डॉ. राजीव बहल, सचिव (डीएचआर), डॉ. (प्रो) अतुल गोयल, डीजीएचएस, राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और अधिकारी तथा एनसीडीसी, आईडीएसपी, आईसीएमआर, एनआईवी और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

बैठक में यह बात दोहराई गई कि आईडीएसपी के आंकड़ों के मुताबिक देश में कहीं भी आईएलआई/एसएआरआई मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं दिखी गई है। आईसीएमआर के सेंटिनल सर्विलांस डेटा से भी इसकी पुष्टि होती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बात पर बल दिया कि 2001 से वैश्विक स्तर पर मौजूद एचएमपीवी को लेकर लोगों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने राज्यों को आईएलआई/एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और समीक्षा करने की सलाह दी। उन्होंने दोहराया कि आमतौर पर सर्दियों के महीनों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि देखी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि के लिए पूरी तरह तैयार है।

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) कई श्वसन वायरस में से एक है जो खासकर सर्दियों में और वसंत के शुरुआती महीनों के दौरान सभी उम्र के लोगों में संक्रमण का कारण बन सकता है। वायरस का संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है और अधिकांश मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाओं में पर्याप्त नैदानिक ​​सुविधाएं उपलब्ध हैं।

राज्यों को वायरस के संक्रमण की रोकथाम के संबंध में लोगों में आईईसी और जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई। लोगों को साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोने, गंदे हाथों से अपनी आंख, नाक या मुंह को छूने से बचने, रोग के लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने और खांसते व छींकते समय मुंह और नाक को ढकने जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।

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