सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताई, कह दी यह बात

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जताई, कह दी यह बात
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर कड़ी नाराज़गी जताई है और इस प्रकार की कार्रवाइयों को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति का घर केवल इस आधार पर नहीं गिराया जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी या दोषी है। न्यायपालिका ने कहा कि घर केवल एक संपत्ति नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। कोर्ट ने कहा है कि जो भी मकान गिराए गए हैं, उन्हें फिर से बनाना होगा।
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— GoyalExpress🇮🇳 (@ExpressGoyal) March 7, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
15 दिन की पूर्व सूचना: ध्वस्तीकरण से पहले संबंधित पक्ष को कम से कम 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होगा। यह नोटिस विधिवत तरीके से भेजा जाना चाहिए, निर्माण स्थल पर चस्पा किया जाना चाहिए, और डिजिटल पोर्टल पर भी उपलब्ध होना चाहिए।
नोडल अधिकारी की नियुक्ति: हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो सुनिश्चित करेगा कि नोटिस समय पर मिले और संबंधित पक्ष को जवाब देने का उचित अवसर प्रदान किया जाए।
निर्देशों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई: यदि इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उन्हें मुआवजे के साथ ध्वस्त की गई संपत्ति को अपनी लागत पर पुनर्स्थापित करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां अनाधिकृत संरचनाएं सार्वजनिक सड़क, रेलवे लाइन, या जल निकायों पर बनाई गई हैं। ऐसे मामलों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी रहेगी।
इस फैसले के बाद, राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन को बुलडोजर एक्शन के संबंध में अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में आवश्यक संशोधन करने होंगे, ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।