रक्षा अधिग्रहण परिषद ने रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी के उद्देश्य से 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी के उद्देश्य से 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की
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टी-90 टैंकों के लिए 1350 एचपी इंजन, वरुणास्त्र टॉरपीडो और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट प्रणाली की खरीद को मंजूरी दी गई
पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया में समयसीमा कम करने के लिए दिशा-निर्देश स्वीकृत किये गए
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव धर्मेंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि अधिकारी विधानसभा सदस्यों के पत्रों, फोन कॉल या संदेशों का जवाब नहीं दे रहे हैं। अध्यक्ष ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे प्रशासनिक सचिवों, दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुखों, pic.twitter.com/knvDg389QS
— GoyalExpress
(@ExpressGoyal) March 20, 2025
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 20 मार्च, 2025 को आठ पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को आवश्यकतानुसार स्वीकृति (एओएन) प्रदान की है। जिसकी कुल लागत 54,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। भारतीय सेना के उपयोग में आने वाले टी-90 टैंकों के लिए वर्तमान 1000 एचपी इंजन को उन्नत करने के उद्देश्य से 1350 एचपी इंजन की खरीद हेतु जरूरत को देखते हुए मंजूरी दी गई है। इससे इन टैंकों की युद्धक्षेत्र गतिशीलता में बढ़ोतरी होगी, विशेषकर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, क्योंकि इससे शक्ति-भार अनुपात में वृद्धि होगी।
भारतीय नौसेना के लिए वरुणास्त्र टॉरपीडो (लड़ाकू) की खरीद के लिए भी एओएन को डीएसी द्वारा मंजूरी दी गई है। वरुणास्त्र टारपीडो नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला द्वारा विकसित एक स्वदेशी जहाज से प्रक्षेपित होने वाला पनडुब्बी रोधी टारपीडो है। इस टारपीडो की अतिरिक्त मात्रा को शामिल करने से शत्रुओं से उत्पन्न होने वाले पनडुब्बी खतरों के विरुद्ध नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।
भारतीय वायु सेना के लिए एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्लूएंडसी) एयरक्राफ्ट सिस्टम की खरीद के उद्देश्य से मसौदे को परिषद द्वारा मंजूरी दी गई। एईडब्लूएंडसी प्रणालियां क्षमता संवर्द्धक हैं, जो युद्ध के सम्पूर्ण परिदृश्य को बदल सकती हैं और प्रत्येक अन्य हथियार प्रणाली की युद्धक क्षमता को तेजी से बढ़ा सकती हैं।
रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा रक्षा मंत्रालय में 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने के एक हिस्से के रूप में पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में समयसीमा को कम करने के दिशानिर्देशों को भी स्वीकृति दी गई है ताकि इसे तेज, अधिक प्रभावी व ज्यादा कुशल बनाया जा सके।