सशस्त्र बलों के लिए तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रक्षा अनुसंधान और विकास हेतु एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

सशस्त्र बलों के लिए तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रक्षा अनुसंधान और विकास हेतु एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय (एचक्यू आईडीएस) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 21 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के लिए तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री @PiyushGoyal ने नई दिल्ली में NASSCOM Global Confluence 2025 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
केंद्रीय मंत्री ने 450 बिलियन डॉलर के सेवा निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार और आईटी क्षेत्र से सामूहिक प्रतिबद्धता का आह्वान किया। pic.twitter.com/eqEiL3XrFD
— GoyalExpress
(@ExpressGoyal) March 21, 2025
इस समझौता ज्ञापन पर एकीकृत रक्षा कार्मिक के उप प्रमुख, आईडीएस मुख्यालय, वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अपर सचिव श्री सुनील कुमार ने एकीकृत रक्षा कार्मिक के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव श्री अभय करंदीकर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
इस साझेदारी का लक्ष्य रक्षा प्रौद्योगिकी अनुसंधान को राष्ट्रीय विज्ञान कार्यक्रमों के साथ जोड़कर सशस्त्र बलों की उभरती हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की व्यापक अनुसंधान व विकास क्षमताओं का लाभ उठाना है, जिससे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
इस समझौता ज्ञापन के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग रक्षा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने अनुसंधान बुनियादी ढांचे, विशेषज्ञता और शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा। यह सहयोग उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों के विकास तथा नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा, जिससे महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के साथ उत्पाद निर्माण के समग्र लक्ष्य में योगदान मिलेगा।
यह साझेदारी अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ संरेखित करने की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाती है और साथ ही भारत की रक्षा तैयारियों को आधुनिक बनाने के लिए देश के सम्पूर्ण रक्षा केंद्रित दृष्टिकोण पर बल देती है।