Sunday, November 24, 2024

पर्यावरण के लिए संकल्पित बरेका

- Advertisement -

पर्यावरण के लिए संकल्पित बरेका

          सुशील कुमार श्रीवास्‍तव महाप्रबंधक

23 अप्रैल 1956 को बनारस रेल इंजन कारख़ाना की स्‍थापना एवं 1961 में उत्‍पादन शुरू होने के उपरांत 03 जनवरी 1964 में प्रथम डीजल-विद्युत रेल इंजन श्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके साथ ही बनारस रेल इंजन कारख़ाना ने घरेलू विनिर्माण उद्योग में प्रवेश किया। आज बरेका भारतीय रेलवे, इस्‍पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए 10270 लोकोमोटिव बना चुके हैं। यह भारत का अग्रणी रेल इंजन विनिर्माता बन गया है। बनारस रेल इंजन कारखाना के रूप में 27 अक्‍टूबर 2020 से पुन: नामित यह सिगल कॉम्‍पैक्‍ट असेंबली लाइन के साथ भारत की सबसे बड़ी मल्‍टी गेज, मल्‍टी ट्रैक्‍शन लोकोमोटिव निर्माण इकाई है।

यह भी पढ़े बनारस रेल इंजन कारखाना में विश्‍व पर्यावरण दिवस-2024 के संदर्भ में “लू (हीट वेव) का शमन और प्रबंधन” विषय पर वेबिनार का हुआ आयोजन

बहुमुखी प्रतिभाशाली श्रमशक्ति से युक्‍त बरेका, 2017 से पर्यावरण अनुकूल, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग और होटल लोड कन्वर्टर जैसी विशेषताओं से युक्त ऊर्जा दक्ष विद्युत रेल इंजन बनाने की यात्रा शुरू की तथा कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज उच्‍च अश्‍व शक्ति विद्युत इंजन बनाने वाली इकाई में बदल गया। बरेका निर्मित लोकोमोटिव न केवल भारत में, बल्कि पूरे एशिया और अफ्रीका के कई अंतरराष्ट्रीय रेलवे प्रणालियों (बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, सूडान, सेनेगल, माली, मलेशिया, वियतनाम, अंगोला और मोजाम्बिक) में सेवाएं प्रदान करते हैं।

कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ग्रीन ट्रेक्शन प्रदान करने के लिए, बरेका ने भारतीय रेलवे के लिए डीजल रेल इंजनों का निर्माण बंद कर दिया है।

बरका पौराणिक नगर वाराणसी में स्थित एक अग्रणी औद्योगिक इकाई है। यह अपने वृहत्तर सामुदायिक उत्तरदायित्व विशेष रूप से पवित्र नदी गंगा के प्रति हमेशा जागरूक रहा है। यह नदी अपने तटीय इलाके के निवासियों को जैव विविधता एवं जीविका के साथ उत्तम पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करती है।

पर्यावरण संरक्षण में नेतृत्वकारी भूमिका का निर्वहन करते हुए बरेका ने 1980 के दशक में ही दो ट्रीट्मेंट प्लांट स्थापित किए। मानव अपशिष्ट के उपचार के लिए 12 एमएलडी क्षमता युक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तथा दूषित एवं मिश्रित पेट्रोलियम तेल और लुब्रिकेंट (पीओएल) के उपचार के लिए 3 एमएलडी क्षमता युक्त औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (आईईटीपी) स्थापित किया गया।

गंगा नदी को स्वच्छ बनाए रखने के अलावा ये संयंत्र, संसाधनों के रिसाइकलिंग में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। बरेका को इस बात पर गर्व है कि यहां से निकलने वाला कोई भी सीवेज, चाहे उपचारित हो या अनुपचारित, गंगा नदी में नहीं छोड़ा जाता है। उपचारित जैव खाद का सूखने के बाद बागवानी में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। 2023-24 के दौरान एसटीपी ने 1192 मिलियन लीटर पानी का उपचार किया। आईईटीपी ने 2023-24 में 240 लीटर मिश्रित पेट्रोलियम तेल और लुब्रिकेंट (पीओएल) को पानी से अलग किया। एसटीपी और आईईटीपी के मापदंडों की ऑनलाइन निगरानी की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्धारित मानकों के भीतर हैं।

                    सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट                               औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र

बरेका, जल संचयन एवं भूजल पुनर्भरण के लिए प्रतिबद्ध है।  इसके अंतर्गत 425 से अधिक सोकपिट और 58 गहरे रिचार्ज कुओं का निर्माण किया गया है।


रिचार्ज कुआं और सोकपिट

बरेका वाराणसी अपने कार्बन फुट प्रिंट को कम करके उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए पर्यावरण के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। इसे प्राप्त करने के लिए, पहले ही ISO 14001:2015 जैसा ISO प्रमाणन प्राप्त कर लिया है।

यह पर्यावरण प्रमाणन बरेका द्वारा IRIS (ISO 22163:2017), ISO 45001(OHSMS), ISO 50001, ISO 9001, ISO 3834-2:2021, NABL और 5S जैसे कई अन्य गुणवत्ता प्रमाणपत्रों के साथ हासिल किया गया है। 

बरेका में, यह सुनिश्चित करते हुए कि पर्यावरण मानक निर्धारित सीमा अतिक्रमण न करे हम जल, वायु, निकास उत्सर्जन और खतरनाक कचरे में प्रदूषण के स्तर की कड़ाई से निगरानी करके एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के लिए सतत  प्रयासरत हैं।

बरेका में स्‍थापित सौर उपकरण

             

ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए और गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों का लाभ लेने के लिए, बरेका ने ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। बरेका ने विभिन्न स्थानों पर  3.86 मेगावाट की क्षमता के ग्रिड से जुड़े हुए सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हैं। बरेका ने वित्‍तीय वर्ष 2023-24 में 4371667 किलोवाट की हरित सौर ऊर्जा का उत्पादन किया है, जिसके परिणामस्‍वरूप कार्बन उत्‍सर्जन में 3099 टन की कमी हुई । वित्‍तीय वर्ष 2023-24 में बरेका में ऊर्जा की कुल खपत में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 21.82 प्रतिशत है।

बरेका पहली उत्पादन इकाई है जहां सामान्य सेवाओं में ऊर्जा खपत की निगरानी एवं उसके अधिकतम उपयोग के लिए स्काडा प्रणाली स्थापित की गई है। बरेका में पारंपरिक प्रकाश व्यवस्था के स्थान पर पूर्णरूपेण  एलईडी आधारित प्रकाश व्यवस्था कर दी गई है। बरेका इंटर कॉलेज बिल्डिंग को मेसर्स ब्‍यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी, नई दिल्‍ली द्वारा शून्‍य प्‍लस प्रमाण-पत्र से सम्‍मानित किया गया।

ऊर्जा खपत में कमी की दिशा में प्रयास के तहत बरेका ने पंप ऑटोमेशन के साथ मोटराइज्ड गेट वाल्व का प्रयोग किया जाता है । प्रणाली सुधार के इन प्रयासों से ओवरफ़्लो के कारण बर्बाद होने वाले बहुमूल्य जल की बचत हुई है।

                                                                       

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण के लिए ‘जल शक्ति अभियान : कैच द रेन’ अभियान की शुरुआत की। इस अभियान की टैगलाइन है “बारिश को पकड़ो, जहां गिरे, जब गिरे” । इस अभियान के अंतर्गत बरेका कंचनपुर कॉलोनी में एक जल संचयन तालाब का निर्माण किया गया है। इस तालाब का क्षेत्रफल 7517.76 वर्ग मीटर (114.60 मीटर x 65.60 मीटर) और जल संग्रहण क्षमता होगी 311 लाख लीटर हैं। इससे मिट्टी की नमी में सुधार और भूजल स्तर को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी।

  बरेका कंचनपुर कॉलोनी में नवनिर्मित तालाब

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बरेका में स्थित कारख़ाना, कॉलोनी, कार्यालयों और अस्पतालों में जोरदार सफाई अभियान चलाया गया। प्रत्‍येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी नागरिक सुरक्षा संगठन, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और सेंट जॉन्स एम्बुलेंस ब्रिगेड के सदस्यों सहित सभी अधिकारी, कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य परिसर को साफ-सुथरा रखने के लिए इन अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिये।

बरेका परिसर में 100000 से अधिक छोटे-बड़े पेड़ हैं। इससे बरेका का लगभग 40% क्षेत्र हरा-भरा है। 2023-24 में बरेका में 2468 पेड़ लगाए गए। “स्वच्छ बरेका, हरित बरेका” के लिए “टीम बरेका” के इस ठोस प्रयास के परिणामस्वरूप न केवल चारों ओर हरा-भरा और स्वच्छ वातावरण बना है, बल्कि इससे जल, वायु, गैस उत्सर्जन और हानिकारक कचरे का प्रदूषण स्तर भी निर्धारित सीमा के अंदर है। बरेका का हरा-भरा वातावरण, पर्यावरण संरक्षण के लिए कॉलोनी वासियों की जागरूकता एवं प्रतिबद्धता का गवाह है। बाहरी क्षेत्र से बरेका परिसर में प्रवेश करने पर तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट सहज ही महसूस की जा सकती है। पर्यावरण के प्रति अपनी समझ और जागरूकता के कारण ही बरेका एक हरित, स्वच्छ और सुदृढ़ भविष्य की ओर निरंतर अग्रसर है।

                                                    हराभरा और स्वच्छ बरेका

                                                      बरेका गोल्‍फ कोर्स

हमारे पर्यावरण के सभी तत्व चाहें वे मिट्टी,वायु,जल जैसे अजैविक हों अथवा पौधे एवं जीवों जैसे जैविक हों, अपनी उत्तरजीविता के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। वे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखते हैं। किसी एक तत्व की कमी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर सकती है।

उत्‍तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्‍थापित मानकों के अनुसार बरेका चिकित्‍सालय से उत्‍पन्‍न हो रहे बायो-मेडिकल कचरे का सफलतापूर्वक निस्‍तारण किया जा रहा है तथा इस पर आधुनिकतम प्राद्योगिकी द्वारा निगरानी भी बरती जा रही है ।

वर्तमान वैश्विक महामारी में स्वस्थ पर्यावरण का महत्व साबित हो गया है। वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण के क्षरण से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और इससे महामारी के दौरान स्थिति और गंभीर हुई। बरेका अपने हरे-भरे एवं स्वच्छ पर्यावरण से स्वस्थ जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। बरेका अपनी प्रत्येक गतिविधियों में पर्यावरण की अनुकूलता के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हुये स्वच्छ, हरित भारत के लिए योगदान देता रहेगा।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Market Updates
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
अन्य खबरे
Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com