हाथरस हादसा मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर गिरफ्तार, अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा किया सरेंडर
हाथरस हादसा हाथरस हादसे के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को यूपी एसटीएफ ने शुक्रवार को देर रात गिरफ्तार कर लिया। मधुकर पर एक लाख का इनाम था।
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हाथरस भगदड़ की घटना पर अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा, “हाथरस मामले में FIR में नामजद देव प्रकाश मधुकर ने SIT, STF और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है, देव प्रकाश मधुकर को मुख्य आयोजक बताया गया था। मेरा वादा था कि हम कोई अग्रिम जमानत नहीं लेंगे, कोई अर्जी नहीं देंगे और किसी कोर्ट में नहीं जाएंगे, क्योंकि हमने क्या किया है? हमारा अपराध क्या है? हमने आपसे कहा था कि हम देव प्रकाश मधुकर को सरेंडर करेंगे, पुलिस के सामने ले जाएंगे, उससे पूछताछ करेंगे, जांच में हिस्सा लेंगे, पूछताछ में हिस्सा लेंगे, हमने उसे एसआईटी और उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया है। अब पूरी जांच हो सकती है…उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए, वह दिल का मरीज है और उसके साथ कुछ गलत नहीं होना चाहिए…”
मधुकर हादसे के बाद से ही फरार था। यूपी एसटीएफ की टीम दिल्ली के नजफगढ़ के एक अस्पताल में पहुंची थी। अस्पताल से ही देव प्रकाश मधुकर को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, बाबा सूरजपाल के वकील होने का दावा करने वाले सीनियर एडवोकेट एपी सिंह ने दावा किया कि मधुकर ने एसटीएफ के सामने सरेंडर किया है। हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई थी।
सिंह का यह कहना था कि मधुकर की तबीयत खराब थी, इसलिए उनके वकील लगातार पुलिस के संपर्क में थे। आज उन्होंने वादा किया था कि मधुकर को वह सरेंडर करवाएंगे। अब मधुकर पहले से स्टेबल है। अब एपी सिंह का दावा है कि उन्होंने वेद प्रकाश मधुकर को आज यूपी पुलिस की एसटीएफ को सौंप दिया है। हालांकि पुलिस की तरफ से अभी तक कोई ऐसी जानकारी नहीं मिली है।
हाथरस भगदड़ केस में अब तक 7 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। आईजी अलीगढ़ रेंज शलभ माथुर ने गुरुवार को बताया था कि 6 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें 4 पुरुष और 2 महिलाएं शामिल हैं। मधुकर समेत कुल 7 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। यही लोग आयोजन समिति में थे और पंडाल का व्यवस्था करना, भीड़ इकट्ठा करने संबंधी काम यही लोग करते थे। कि वेद प्रकाश मधुकर ही हाथरस में हो रहे सत्संग का मुख्य आयोजक था।
भोले बाबा को पाखंड के केस में पहली बार तत्कालीन पुलिस अधिकारी तेजवीर सिंह ने जेल की राह दिखाई थी। सिंह ने खास बातचीत में बताया कि 2000 में आगरा के शाहगंज थाने में वो एसएचओ थे, उन्हें सूचना मिली थी कि कोई बाबा एक मृत बालिका को जिंदा करने का प्रयास कर रहा है। मुंह में दूध डालकर उसे जिंदा करने का प्रयास कर रहा है। लगभग 2 से 3 घंटे तक यह क्रम चलता रहा पर मृत बच्ची जिंदा नही हुई। तेजवीर सिंह ने कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर बाबा को उनके 5 अनुयायियों के साथ गिरफ्तार किया गया और सब को जेल भेजा गया।, उसके बाद विवेचना हुई और चार्जशीट लगी।