Thursday, September 19, 2024

काशी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज रविवार की सुबह मंगला आरती के बाद हुआ शुरू

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काशी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज रविवार की सुबह मंगला आरती के बाद हुआ शुरू
काशी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज रविवार की सुबह मंगला आरती के बाद हुआ शुरू

काशी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज रविवार की सुबह मंगला आरती के बाद हुआ शुरू

 

काशी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा मेला आज रविवार की सुबह मंगला आरती के बाद हुआ शुरू, वाराणसी में विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेले के पहले दिन बाबा कालभैरव के पंचबदन प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा निकाली गई।

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चौखंबा स्थित काठ की हवेली से स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के तत्वावधान में निकली शोभायात्रा। सुसज्जित छतरी युक्त घोड़ों पर देव प्रतिमाएं राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, शंकर, गणेश, नारद, ब्रह्मा जी के साथ दो दरबान भी विराजमान,डमरू दल भी शामिल,शोभायात्रा के अंत में शहनाई की धुन के बीच साज-सज्जा के साथ फूलों से सुसज्जित बाबा का स्वर्णिम रथ,शोभायात्रा काठ की हवेली, चौखंभा से प्रारंभ होकर बीवी हटिया, जतनबर, विशेश्वरगंज, महामृत्युंजय, दारानगर, मैदागिन, बुलानाला, चौक, नारियल बाजार, गोविंदपुरा, ठठेरी बाजार, सोराकुआं, गोलघर, भुतही इमली होते हुए कालभैरव मंदिर पर जाकर संपन्न हुई।

भगवान् जगन्नाथ, भाल बलभद्र और बहन सुभद्रा की महाआरती कीके बाद आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन शुरू हो गए। रथ पर सवार भगवान् जगन्नाथ श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। काशी में सन् 1740 में शुरू हुई थी परंपरा, पूरा मेला परिसर भगवान् जगन्नाथ के जयकारे से गूज रहा है।

रथयात्रा में लगा लक्खा मेला

काशी के लाखहा मेले में शुमार तीन दिवसीय रथयात्रा मेले का आज शुभारम्भ हो गया। भक्त देर रात से ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आतुर दिखे। परंपरागत तरीके से बेनी के बगीचे में आधी रात भगवान जगन्नाथ, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा की मंगला आरती की गई। इसके बाद भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा की प्रतिमा को रथ पर विराजमान किया गया। यहां भी महाआरती के बाद रथयात्रा मेला शुरू हो गया।

काशी में पालकी में करते हैं भगवान नगर भ्रमण

 

दीपक शापुरी ने बताया कि काशी और पूरी की जगन्नाथ रथयात्रा में सिर्फ एक फर्क है। ओडिशा के पुरी रथयात्रा मेले में रथ को खींचा जाता है और भगवान जगन्नाथ उसपर शहर भ्रमण करते हैं, पर काशी में भगवान् एक दिन पहले पालकी पर भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ शहर भ्रमण कर लेते हैं। इस भ्रमण के बाद तीन दिवसीय मेले में रथ पर सवार होते हैं पर यह रथ कहीं ले जाया नहीं जाता और रथयात्रा मेला स्थल पर ही रहता है।

क्या है लक्खा मेला

 

धर्म की नगरी काशी में त्योहारों का बहुत महत्त्व है। आषाढ़ माह से कार्तिक माह तक काशी में कई पारंपरिक मेले का आयोजन होता है। काशी में कई मेले हैं जिनमे हर समय एक लाख या उससे अधिक लोग मौजूद रहते हैं। ऐसे मेले को काशी में लक्खा मेले में शुमार किया जाता है। काशी में त्यौहार की शुरुआत रथयात्रा मेले से शुरू होती है जो लक्खा मेले में शुमार है। इसके बाद पड़ने वाले सोरहिया मेला, लोलार्क षष्ठी, नाटीइमली का भरत मिलाप, चेतगंज की नक्कटैया और तुलसी घाट की नाग नथैया के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा की देव दीपावली भी लखा मेले में शुमार है।

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