Sunday, November 24, 2024

ओडिशा: जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान भगदड़ में एक व्यक्ति की मृत्यु व कइयों के घायल होने की खबर 

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ओडिशा: जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान भगदड़ में एक व्यक्ति की मृत्यु व कइयों के घायल होने की खबर 
ओडिशा: जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान भगदड़ में एक व्यक्ति की मृत्यु व कइयों के घायल होने की खबर

ओडिशा: जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान भगदड़ में एक व्यक्ति की मृत्यु व कइयों के घायल होने की खबर

 

ओडिशा: जगन्नाथपुरी रथयात्रा के दौरान भगदड़ में एक व्यक्ति की मृत्यु व कइयों के घायल होने की खबर, जगन्नाथपुरी रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हुई। इस दौरान पुरी रथ यात्रा में तलध्वज रथ को खींचने के दौरान बोलांगीर जिले के एक पुरुष श्रद्धालु की कथित तौर पर दम घुटने से मौत हुई।

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पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल में डॉक्टरों ने भक्त को मृत घोषित कर दिया। हिंदी स्कूल छाक के पास पुरी बड़ा डांडा में भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। 8 से 10 श्रद्धालु घायल हैं, जिन्हें जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

ओडिशा के पुरी में आज भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, बताया जा रहा है कि इस दौरान कई लोग घायल हो गए. जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है। ये घटना पुरी के बड़ा डांडा में हुई। हादसे के बाद घायलों को उपचार के लिए तुरंत नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया। इसके अलावा रथ खींचने के दौरान हुई दुर्घटना में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। बताया जा रहा है कि यह घटना भगवान बलभद्र के रथ को खींचने के दौरान हुई, जिसे सबसे पहले खींचा गया था।

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने शिष्यों के साथ भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों का दर्शन किया और पुरी के राजा ने ‘छेरा पहानरा’ (रथ साफ करने) की रस्म पूरी की, जिसके बाद शाम करीब 5.20 बजे रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। रथों में लकड़ी के घोड़े लगाए गए और सेवादारों ने भक्तों को रथों को सही दिशा में खींचने के लिए मार्गदर्शन किया। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों रथों की ‘परिक्रमा’ की और देवताओं के सामने माथा टेका।बता दें कि सनातन धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत ही खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं। इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारी होती है और मंदिर की सफाई के लिये इंद्रद्युम्न सरोवर से जल लाया जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरु होती है। इस यात्रा का सबसे बड़ा महत्व यही है कि यह पूरे भारत में एक पर्व की तरह निकाली जाती है। इस रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भव्य रथों को देखने और उन्हें खींचने के लिए एकत्रित होते हैं।

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