भारतीय सेना ने नौ महीने पहले लद्दाख में लापता हुए तीन जवानों के शव सफलतापूर्वक बरामद किये, सैन्य सम्मान के साथ दी जाएगी अंतिम विदाई
भारतीय सेना ने नौ महीने पहले लद्दाख में लापता हुए तीन जवानों के शव सफलतापूर्वक बरामद कर लिए हैं। ये जवान 8 अक्टूबर 2023 को लद्दाख के माउंट कुन पर प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान हिमस्खलन में फंस गए थे। प्रारंभ में, केवल एक शव बरामद किया गया था, लेकिन हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के ब्रिगेडियर एसएस शेखावत के नेतृत्व में एक समर्पित टीम ने शेष तीन का पता लगाने के लिए अथक प्रयास किया। नौ दिनों तक 18,700 फीट बर्फ खोदने और टनों बर्फ हटाने के बाद, टीम ने आखिरकार शव बरामद कर लिए। ब्रिगेडियर शेखावत ने इस मिशन को शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपने जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण बताया। तीनों जवानों के शवों को पूरे सैन्य सम्मान के साथ दी जाएगी अंतिम विदाई।
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जब पिछले साल अक्टूबर में भारतीय सेना का यह दल फंस गया था तो उस समय हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) और भारतीय सेना के आर्मी एडवेंचर विंग का दल माउंट कुन के पास में ही ट्रेनिंग कर रहा था। एक जवान का शव तो उसी समय बरामद कर लिया गया था। वहीं तीन भारतीय सैनिकों के शवों को तलाशने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।एवलांच क्या होता है?बर्फ या पत्थर के पहाड़ की ढलान से तेजी से नीचे गिरने को ही एवलांच कहा जाता है। एवलांच के दौरान बर्फ, चट्टान, मिट्टी और दूसरी चीजें किसी पहाड़ से नीचे की तरफ तेजी से फिसलती हैं। हिमस्खलन आमतौर पर तब शुरू होता है जब किसी पहाड़ की ढलान पर मौजूद बर्फ या पत्थर जैसी चीजें उसके आसपास से ढीली हो जाती हैं। इसके बाद ये तेजी से ढलान के नीचे मौजूद और चीजों को इकट्टा कर नीचे की और गिरने लगती हैं। चट्टानों या मिट्टी के खिसकने को भूस्खलन कहते हैं।
एक जवान का किया गया अंतिम संस्कार। टीम पर शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी दवाब था। इससे उनके आत्मविश्वास की परीक्षा हो रही थी। इतनी चुनौतियों के बाद भी ब्रिगेडियर शेखावत ने शहीद सैनिको को वापस लाने पर संतुष्टि जाहिर की है। ब्रिगेडियर ने कहा कि यह मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल मिशन रहा है। उन्होंने कहा कि राहुल का पूरे सैन्य सम्मान के साथ में अंतिम संस्कार किया गया है। ठाकुर और गौतम को उनके परिजनों के पास भेजा जा रहा है। उनका भी सही से अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसी के वे हकदार हैं।