बांग्लादेश में नया आदेश हुआ जारी, इस फैसले का भारत पर क्या होगा असर ?
बांग्लादेश में नया आदेश हुआ जारी, इस फैसले का भारत पर क्या होगा असर?
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बांग्लादेश की सत्ता से शेख हसीना के बाहर होने के बाद वहां की अंतरिम सरकार एक के बाद एक भारत विरोधी कदम उठा रही है। उसने बुधवार को एक बदनाम इस्लामिक पार्टी पर से प्रतिबंध हटा दिया। इस पार्टी पर शेख हसीना की तत्कालीन सरकार के वक्त आंतकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा था और इस कारण इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अब इस प्रतिबंध को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ इन आरोपों को साबित करने के कोई सबूत मौजूद नहीं हैं।
सरकार की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि जमात ए इस्लामी और उसके सहयोगी संगठनों के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कोई सबूत नहीं हैं। यह पार्टी 2013 के बाद से बांग्लादेश में चुनाव नहीं लड़ सकती थी। अदालत ने 2013 में उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। अब पार्टी का कहना है कि वह रजिस्ट्रेशन बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
भारत के साथ रिश्तों पर असर
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कट्टरपंथी ताकतों की अच्छी खासी हिस्सेदारी है। ये पूर्व पीएम शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के कट्टर विरोधी हैं। यह पार्टी शेख हसीना की सत्ता से पहले बांग्लादेश में बनी बीएनपी की सरकार में हिस्सेदार थी। यह कट्टर हिंदू विरोधी पार्टी है। उस वक्त भारत में हुए कई आतंकवादी हमलों में इसके हाथ होने की बात सामने आई थी। यह मुख्य रूप से पाकिस्तान से संचालित एक इस्लामिक संगठन है।
इसके शासन में कई आतंकवादी संगठनों ने बांग्लादेश में अपना ठिकाना बना लिया था। इस कारण बांग्लादेश से लगे भारतीय इलाकों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी जमात के कुछ नेता युद्ध अपराध के दोषी पाए गए थे। यानी उस वक्त ये नेता पाकिस्तान का साथ दे रहे थे जो बांग्लादेश की निर्दोष जनता पर जुर्म ढाह रही थी।