कोलकाता: डॉक्टर मर्डर केस अटॉप्सी रिपोर्ट जो दे रहे नए सवालों को जन्म
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कोलकाता के आरजी मेडिकल अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या का मामला दो महीने बाद भी सुलझता नहीं दिख रहा है। रोज नए-नए सवाल सामने आ रहे हैं। अब तो कुछ ऐसी बातें सामने आईं हैं, जिन्हें देखकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी हैरान रह गए। सोमवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने पूछा कि क्या कत्ल के वक्त पीड़िता ने चश्मा पहना था? क्योंकि अटॉप्सी रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं। जवाब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जूनियर डॉक्टरों की वकील ने उठाया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कत्ल के बाद वहां स्टेट मेडिकल काउंसिल के लोग वहां पहुंच गए थे। आखिर उन्हें कैसे जाने दिया गया? उनका इस केस से क्या वास्ता? इस पर सीजेआई ने तुरंत कार्रवाई करने की बात कही।
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बड़े भाई अनिल मौर्या की तहरीर पर pic.twitter.com/aEN2ZZMmG6— GoyalExpress🇮🇳 (@ExpressGoyal) September 30, 2024
चीफ जस्टिस ने पूछा, अटॉप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि आंख में चोट चश्मे के कारण लगी, लेकिन क्या पीड़िता ने उस समय चश्मा पहना हुआ था? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, फोरेंसिक रिपोर्ट कहती है कि चश्मा किनारे पर टूटा हुआ पड़ा था। हालांकि, सीबीआई सूत्रों का कहना है कि आरोपी ने रेप से पहले डॉक्टर की बेरहमी से पिटाई की थी। उसके चेहरे पर इतने वार किए कि उसका चश्मा टूट गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चश्मे का कांच ही उसकी आंख में धंस गया था।
दूसरा सवाल देबाशीष सोम को लेकर उठा। याचिकाकर्ता के वकील फिरोज एडुल्जी ने कहा, देबाशीष सोम की भूमिका अब तक नहीं जांची गई। वह नॉर्थ बंगाल लॉबी के करीबी हैं और मलय चटर्जी और कॉलेज के प्रमुख के करीबी हैं। इस पर तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अस्पताल में भर्ती कराने से पहले देवाशीष सोम से पूछताछ की गई थी। इस पर सीजेआई ने पूछा, आखिर ये देवाशीष सोम कौन हैं? तब एडुल्जी ने बताया, देबाशीष सोम फोरेंसिक टीम के डॉक्टरों में से एक हैं।
जूनियर डॉक्टरों की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा, पुलिस के पहुंचने से पहले चार लोग मौका-ए-वारदात पर पहुंचे थे। उनमें से कुछ मेडिकल काउंसिल के सदस्य हैं। जिनके पास वहां आने का कोई कारण नहीं था। हमें लगता है कि यह सिर्फ बलात्कार और हत्या का मामला नहीं है। स्टेट मेडिकल काउंसिल के मेंबर वहां कैसे पहुंच गए। जो लोग वहां पहुंचे, वे अभी सत्ता में हैं। हमें इसमें कुछ खेल नजर आता है। उन्होंने कहा, हमारे पास चार नाम हैं। हमने नाम सीबीआई को दे दिए हैं। इन्हें जांच होने तक निलंबित किया जाना चाहिए। इंदिरा जयसिंह ने कहा, हम लिखकर दे रहे हैं कि डॉक्टर काम पर लौट आए हैं। लेकिन जो लोग जांच के दायरे में हैं वे अभी भी आर जी कर में काम कर रहे हैं। क्या जांच पूरी होने तक उन व्यक्तियों को निलंबित किया जा सकता है?
जब सरकारी वकील ने बताया कि पांच लोगों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। इस पर चीफ जस्टिस ने साफ कर दिया, शिकायत करने वालों और जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे सत्ताधारी दल के लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है, इस पर अंतिम फैसला राज्य सरकार लेगी। लेकिन अगर सीबीआई को ऐसे किसी व्यक्ति की जानकारी मिलती है तो वह राज्य की मदद करेगी। उन्होंने साफ-साफ पूछा कि आखिर रिपोर्ट किसने दी। उसके बाद उस पर क्या हुआ। उन्होंने एक-एक कर सरकारी वकील से जवाब मांगा