Saturday, December 6, 2025

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने में पीएलआई योजनाओं, भारत के हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया

- Advertisement -

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने में पीएलआई योजनाओं, भारत के हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने में पीएलआई योजनाओं, भारत के हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने में पीएलआई योजनाओं, भारत के हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने में पीएलआई योजनाओं, भारत के हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया

यह भी पढ़े बरेका में 54वें राष्ट्रीय संरक्षा सप्ताह के अंतर्गत ब्लाक डिवीजन में संरक्षा को बढ़ावा देने हेतु फायर फाइटिंग एवं व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के प्रशिक्षण के साथ नुक्कड़ नाटक का मंचन 

पैनल चर्चा में उभरती भू-राजनीति के बीच औद्योगिक नीति विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रकाश डाला गया

डब्ल्यूटीओ विशेषज्ञों ने व्यापार नीति और औद्योगिक नीति संबंधों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि रेखांकित की

व्यापार एवं निवेश कानून केंद्र (सीटीआईएल) की ओर से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य विषय, उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर भारत की औद्योगिक नीति की रूपरेखा को आकार देना, विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की भूमिका, भारत की औद्योगिक नीति को आकार देने और तन्यकशील वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने में भारत का हरित परिवर्तन और समावेशी स्थिरता थे।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय “भविष्य की दिशा तय करना: औद्योगिक नीति और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता” था। इसका आयोजन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से स्थापित व्यापार और निवेश कानून केंद्र (सीटीआईएल) ने किया था। इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यवसाय कानून केंद्र, एनएएलएसएआर विधि विश्वविद्यालय और बर्न विश्वविद्यालय के विश्व व्यापार संस्थान के साथ-साथ डब्ल्यूटीओ भारत अध्यक्ष कार्यक्रम के सहयोग से किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 17 से 19 जनवरी 2025 के दौरान हैदराबाद स्थित एनएएलएसएआर विधि विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया था।

सम्मेलन में यह सुनिश्चित करने में डब्ल्यूटीओ अनुशासन की भूमिका पर चर्चा की गई कि औद्योगिक नीति उपाय नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के मूल सिद्धांत को नकारें नहीं, यह महत्वपूर्ण बात रही। सम्मेलन में वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और ऊर्जा संक्रमण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।

सम्मेलन का मुख्य विषय ‘भविष्य की दिशा तय करनाऔद्योगिक नीति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा’ पैनल चर्चाओं और तकनीकी सत्रों की एक श्रृंखला के माध्यम से खोजा गया। उद्घाटन सत्र में औद्योगिक नीति के पुनरुत्थान और विकास, इसके प्रभाव को मापने के लिए मीट्रिक और बदलते वैश्विक संदर्भ में डब्ल्यूटीओ नियमों के साथ उनकी अनुकूलता पर चर्चा की गई। सीटीआईएल के प्रमुख प्रोफेसर जेम्स जे. नेदुंपरा ने अपने स्वागत भाषण में सम्मेलन के विषय की प्रासंगिकता और वर्तमान वैश्विक संदर्भ में नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने में हरित औद्योगिक नीति के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीकृष्ण देव राव ने अध्यक्षीय भाषण दिया। डब्ल्यूटीओ अपीलीय निकाय के पूर्व सदस्य श्री उजल सिंह भाटिया और प्रोफेसर पीटर वैंडेन बोशे ने भी व्यापार नीति और औद्योगिक नीति के बीच संबंधों की गहन जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।

विदेश मंत्रालय सचिव (आर्थिक संबंध) श्री दम्मू रवि ने अपने संबोधन में इस विषय पर प्रकाश डाला कि उभरती अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा परिवर्तन में उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकती हैं और आर्थिक परिवर्तन की अगुआई कर सकती हैं। सचिव ने वैश्विक महत्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका पर जोर दिया और इस विषय पर जोर डाला कि मूल्य श्रृंखला एकीकरण के लिए कोई भी रणनीति भारत के भीतर मूल्य सृजन पर केंद्रित होनी चाहिए, जिसमें रोजगार के अवसर पैदा करना भी शामिल है।

पूरे अधिवेशन में, योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष श्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने चीन के उदय और विकसित हो रही अमेरिकी नीतियों से चुनौतियों के जवाब में मुक्त व्यापार से संरक्षणवाद की ओर वैश्विक बदलाव पर प्रकाश डाला। श्री अहलूवालिया ने सुरक्षा और आर्थिक प्राथमिकताओं के प्रति संतुलित दृष्टिकोण के हिस्से के तौर पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्पष्ट, लागत प्रभावी हस्तक्षेप, पीएलआई जैसी पहलों में पारदर्शिता और डब्ल्यूटीओ नियमों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नीति के क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित जानकारों और नीति विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे, जिनमें अपीलीय निकाय के पूर्व निदेशक डॉ. वर्नर ज्डौक, सीआईआई के व्यापार नीति प्रमुख श्री सुमंत चौधरी, डब्ल्यूटीओ अध्ययन केंद्र के प्रमुख डॉ. प्रीतम बनर्जी, सिंगापुर प्रबंधन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रो. हेनरी गाओ, डब्ल्यूटीओ अध्ययन केंद्र के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर अभिजीत दास, ब्रुगेल की वरिष्ठ फेलो डॉ. एलिसिया ग्रासिया, विश्व व्यापार संस्थान की निदेशक डॉ. इसाबेल वान डैम, नालसार विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रोजमी जोन आदि शामिल थे।

उद्घाटन सत्र में, सीटीआईएल ने अपना मासिक निवेश विधि संवादपत्र, ‘इन्वेस्टमेंट लॉ कम्पास: नेविगेटिंग थ्रू द ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फ्रेमवर्क’ लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य निवेश कानून परिदृश्य में विकास को उजागर करना और इसे उत्साही और पेशेवरों दोनों के लिए एक सुलभ और व्यावहारिक यात्रा में बदलना है। यह संवादपत्र www.ctil.org.in पर ऑनलाइन उपलब्ध होगा।

समापन भाषण में प्रोफेसर जेम्स जे नेदुंपरा ने तीन दिनों में औद्योगिक नीति और इसके विभिन्न आयामों पर हुई गहन चर्चाओं को प्रतिबिंबित किया और इस विषय पर प्रकाश डाला कि वैश्विक भागीदारी से सम्मेलन समृद्ध हुआ। उन्होंने सह-सहयोगी एनएएलएसएआर और डब्ल्यूटीआई को बधाई दी और सम्मेलन के सफल समापन पर उन्हें बधाई दी।

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Market Updates
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
अन्य खबरे
Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com