यूपी शिक्षक भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 प्राथमिक शिक्षकों की मेरिट सूची रद्द की
यूपी शिक्षक भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 प्राथमिक शिक्षकों की मेरिट सूची रद्द की
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश में 69,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। उक्त भर्ती में आरक्षण अनियमितताओं का मामला लंबे समय से हाईकोर्ट में लंबित था। अधिनियम की धारा 13 में प्रावधान है कि ईडब्ल्यूएस अधिनियम उन चयन प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा जो अधिनियम के लागू होने से पहले शुरू की गई हैं।
यह विवाद दिसंबर 2018 का है, जब उत्तर प्रदेश में 69,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। 2019 में 410,000 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए और 2020 में नतीजे घोषित किए गए, जिसमें 147,000 उम्मीदवार परीक्षा में सफल हुए। पास होने वालों में 110,000 आरक्षित वर्ग के थे।
भर्ती प्रक्रिया पर उठे थे सवाल
इस मेरिट लिस्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों की भर्ती हुई। हालांकि, जल्द ही भर्ती प्रक्रिया जांच के घेरे में आ गई, आरोप है कि आरक्षित श्रेणियों के करीब 19,000 उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। इस पर कुछ उम्मीदवारों ने भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
आगे क्या होगा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में अब पूरी मेरिट लिस्ट रद्द करने का आदेश दिया है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार का कहना था कि भर्ती नियमों के मुताबिक ही हुई है, लेकिन कोर्ट के फैसले के मुताबिक सरकार को तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करनी होगी। इस नई लिस्ट में आरक्षण नीतियों और शिक्षा नियमों के उचित क्रियान्वयन का पालन करना होगा, ताकि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।