नई दिल्ली: बेबी केयर हॉस्पिटल में लगी आग, 7 नवजात शिशुओं की मौत, अस्पताल मालिक गिरफ्तार, देखे वीडियो
नई दिल्ली:बेबी केयर हॉस्पिटल में लगी आग, 7 नवजात शिशुओं की मौत, अस्पताल मालिक को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार, नई दिल्ली विवेक विहार में बेबी केयर हॉस्पिटल में लगी आग में 7 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। दिल्ली फायर डिपार्टमेंट और स्थानीय लोग हॉस्पिटल से 12 नवजातों को रेस्क्यू करने में कामयाब रहे, लेकिन उनमें से 7 ने दुनिया को देखने से पहले ही इस संसार को अलविदा कह दिया।
यह भी पढ़े वाराणसी: कैंट विधानसभा के वार्ड संख्या दस शिवपुरवा मोहल्ले में एक महीने में कई बार दिन व रात में हुआ बिजली का फाल्ट,आम नागरिक गर्मी में हुआ बेहाल
अस्पताल प्रबंधन के लिए यह एक दुर्घटना मात्र हो सकती है, लेकिन उन 7 नवजात का क्या कसूर था? उनके माता-पिता का क्या कसूर था जो उन्हें अब यह असहनीय पीड़ा झेलनी पड़ रही है? सवाल उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है? इस भीषण अग्निकांड के बाद नवजात के परिजनों के साथ ही स्थानीय प्रशासन भी सकते में है। अस्पताल के मालिक नवीन चिंची के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल वह फरार हैं।
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में स्थित बेबी केयर अस्पताल में आग लगने की घटना और 7 नवजातों की मौत के बाद उठ रहे कई सवाल बेबी केयर हॉस्पिटल में कितने बजे आग लगी और घटना के कितनी देर बाद इसकी सूचना फायर डिपार्टमेंट को दी गई ? यह फिलहाल जांच का विषय है। बताया जा रहा है कि आग शनिवार देर रात 11:32 बजे लगी थी और तकरीबन 50 मिनट में इसपर काबू पा लिया गया था।
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि जब हॉस्पिटल में आग लगी थी तो उस वक्त वहां कौन-कौन मौजूद था? अग्निकांड के वक्त बेबी केयर अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड वहां थे या नहीं या फिर अस्पताल प्रबंधन का कोई जिम्मेदार शख्स हॉस्पिटल में था या नहीं? अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि अस्पताल में जब आग लगी थी, तब वहां अस्पताल के सिक्योरिटी डिपार्टमेंट से कौन-कौन था।
तीसरा और सबसे अहम सवाल यह है कि बेबी केयर अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं थीं? जब आग लगी तो तो हॉस्पिटल में मौजूद फायर सेफ्टी मेजर को अपनया या उसे अमल में लाया गया था या नहीं? बता दें कि निर्धारित प्रावधानों के तहत अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के लिए मुकम्मल व्यवस्था करनी होती है, ताकि आग लगने की स्थिति में घटना से निपटा जा सके।
चौथा सवाल यह उठता है कि क्या निर्धारित मापदंडों के तहत गर्मी का मौसम आने से पहले अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की जांच-पड़ताल की गई थी या नहीं? आमतौर पर गर्मी के सीजन में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है तो मशीनों में स्पार्क करने और उस वजह से आग लगने की आशंका काफी बढ़ जाती है। गर्मी का मौसम आने से पहले ड्रिल कर यह जानने की कोशिश की जाती है कि फायर सेफ्टी से जुड़े सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं या नहीं। पाइप में पानी की सप्लाई सही तरीके से हो रही है कि नहीं और मोटर ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं। इसके साथ ही फायर डिपार्टमेंट की टीम उन्हें बेसिक ट्रेनिंग भी देती है।
शुरुआती जानकारी के अनुसार, अस्पताल में आग लगने की वजहों का अभी तक पता नहीं चल सका है। शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी या फिर इसके पीछे कोई और वजह है। फायर डिपार्टमेंट और फॉरेंसिक टीम की छानबीन के बाद ही असली वजहों का पता चल सकेगा। साथ ही जवाबदेही भी तय हो सकेगी।