विजयदशमी पर्व पर क्यों की जाती है शस्त्रों की पूजा
विजयदशमी पर्व पर क्यों की जाती है शस्त्रों की पूजा
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शारदीय नवरात्रि के अगले दिन विजय दशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रावण के पुतले का दहन करने के अलावा शस्त्रों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं शस्त्र पूजा के पीछे की वजह और उसके महत्व के बारे में।
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— GoyalExpress🇮🇳 (@ExpressGoyal) October 11, 2024
हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन लंकापति रावण का वध कर अयोध्या के प्रभु राम ने लंका पर विजय पायी थी। इस वजह से हर साल विजयदशमी के दिन रावण का पुतला भी जलाया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन शस्त्रों की भी पूजा का विधान है। इस दिन बंदूक से लेकर तलवार, कटार, लाठी आदि शस्त्रों की पूजा आराधना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस प्रथा के पीछे क्या वजह है?
क्यों करते है शस्त्रों की पूजा
राम कचहरी मंदिर के महंत शशिकांत दास ने कहा कि विजयदशमी के दिन शस्त्र की पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा है कि जब प्रभु श्री राम ने माता सीता को दशानन रावण की कैद से मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध कर रावण का वध किया था तब श्री राम ने उस युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र की पूजा की थी। दूसरी कथा कहती है कि जब माता दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर बुराई का अंत किया था तो उसके बाद देवताओं ने भी माता दुर्गा के शस्त्रों की पूजा आराधना की थी।
विजयदशमी के दिन शस्त्रों की पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करके शस्त्र की पूजा आराधना करते थे। युद्ध पर जाने से पहले हथियारों की पूजा आराधना की जाती थी। मान्यता है कि इस दिन युद्ध पर जाने से शस्त्र की पूजा आराधना करने से युद्ध में जीत होती है।
विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में सभी अस्त्र-शस्त्र निकालकर एक चौकी पर रखकर उन्हें गंगाजल डालकर पवित्र करना चाहिए। इसके बाद उनकी विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए। तिलक लगाना चाहिए, फूल माला चढ़ाकर चंदन, अक्षत, दीप से शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। कुछ समय बाद इन्हें वापस अपने स्थान पर रख देना चाहिए।