Friday, November 22, 2024

काशी से बड़ी खबर ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट में मिले मंदिर होने के सबूत, कोर्ट ने ASI सर्वे रिपोर्ट की सार्वजनिक, हिन्दू पक्ष ने जताई खुशी, देखे सर्वे रिपोर्ट

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काशी ज्ञानवापी

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट में मिले मंदिर के साक्ष्य

काशी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI द्वारा किए गए सर्वे में मंदिर के प्रमाण प्राप्त हुए, ASI द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट जो की वाराणसी न्यायालय को प्रदान की गई थी।

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट को वाराणसी जिला जज ने किया सार्वजनिक

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट को वाराणसी कोर्ट के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने गुरुवार की शाम सार्वजनिक कर दी। रिपोर्ट के अनुसार, ज्ञानवापी में मंदिर के साक्ष्य मिले हैं जिसमें मंदिर की बनावट पाई गई है। ऐसी की रिपोर्ट के अनुसार यह कहा जा सकता है कि इस मस्जिद से पहले यहां एक हिंदू मंदिर था। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताते हुए कहा कि बाबा मिल गए हैं। सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी रूप से आगे कदम उठाने की बात कही है।

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख मिले हैं। रिपोर्ट में महामुक्ति मंडप लिखा है। एएसआई का कहना है कि यह मजबूत संकेत है।

ASI रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट में मिले महत्वपूर्ण साक्ष्य

एएसआई ने सर्वे के दौरान एक पत्थर पाया जो टूटा हुआ था। ऐसे में जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया। 1669 में 2 सितंबर को मंदिर ढहाया गया था। जो पिलर थे पहले के मंदिर के उनका इस्तेमाल मस्जिद के लिए किया गया। जो तहखाना S2 है, उसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थी। ASI कहता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है। उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था। इसके बाद इसे मस्जिद के लिए इस्तेमाल किया गया।

ASI रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट बताती है कि यहां मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर की संरचना (STRUCTURE) था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अब हिंदू पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद में सील वजूखाना की ASI सर्वे की मांग की जाएगी।

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ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट 5 लोगों को प्रदान की गई

गुरुवार को ज्ञानवापी मामले से जुड़े पांच लोगों को ASI की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी कोर्ट द्वारा प्रदान की गई। बताते चलें कि दोपहर में पक्षकारों ने इसके लिए प्राथना पत्र देकर आवेदन किया। इसके बाद से ही फोटो स्टेट की प्रक्रिया शुरू हुई। देर रात नौ बजे के बाद सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने होटल में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि रिपोर्ट के मुताबिक मंंदिर का ढांचा मिला है।

ASI रिपोर्ट

अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट के मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से किया इनकार


अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद ASI सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से साफ इन्कार कर दिया। यह मांग अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से की गई थी। दूसरी तरफ मसाजिद कमेटी की सर्वे रिपोर्ट ई-मेल पर उपलब्ध कराने की मांग भी खारिज कर दी गई। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दिया।

ASI रिपोर्ट

ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी कर ली थी। इसके बाद पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। जिला जज की अदालत ने 23 जुलाई को आदेश सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेशित किया था।अदालत ने कहा कि किसी तरह की क्षति पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए।

ज्ञानवापी मामले में अदालत ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। जिसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहा था।


हिंदू पक्ष का कहना था कि सर्वे में हिंदू पक्ष की दलीलों को माना गया है। आज इस सर्वे रिपोर्ट के कुछ अंश सामने आए हैं जिन्होंने एक बार अयोध्या फैसले की याद दिला दी है। सर्वे में इस बात का दावा किया गया है कि मस्जिद के पहले यहां मंदिर था और उसकी संरचना के सबूत प्राप्त हुए हैं।

हिंदू पक्ष के एक अन्य अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने से वैमनस्यता फैली। हिंदू पक्ष कलेजे पर पत्थर रखकर इसे सहन करता रहा। यह ऐतिहासिक साक्ष्य है कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।


मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई अब चार अगस्त को होगी। नई तिथि पर एएसआई को सर्वे की टीम गठित करके सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देनी है। बताना है कि सर्वे कब और कैसे किया जाएगा। सर्वे कितने दिन में पूरा किया जाएगा। सर्वे का समय क्या रहेगा।

कोर्ट ने केस में अगली तारीख 4 अगस्त 2024 दी

कोर्ट ने केस में अगली तारीख 4 अगस्त 2024 दी , हिंदू पक्ष की अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सर्वे से सब कुछ साफ शृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांग रही चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पक्ष रखा था। इस दौरान वजूखाने में हुए अधिवक्ता कमीशन की रिपोर्ट पेश की गई।

अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि कमीशन की प्रक्रिया के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। आकृति की एएसआई जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट के विचााराधीन है। वजूखाने को सील किया गया है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्र का एएसआई सर्वे किया जा सकता है।

ASI रिपोर्ट

विष्णु जैन ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार के पास खंडहरनुमा अवशेष, तीन गुंबद और व्यास जी के तहखाने की जांच एएसआई से रडार पद्धति से कराई जाए। विष्णुशंकर जैन ने सर्वे व हिंदू मंदिर के समर्थन में कई साक्ष्य व तथ्य भी अदालत के समक्ष रखे थे।


ज्ञानवापी-मां शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू ने बीते 16 मई को अदालत में आवेदन दिया था। कहा था कि ज्ञानवापी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर वर्ष 1993 से जो क्षेत्र बैरिकेडिंग के अंदर है, उसका एएसआई से रडार तकनीक से सर्वे कराया जाए। आवेदन पर 19 मई को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आपत्ति की तो हिंदू पक्ष ने 22 मई को अपनी दलील रखी थी। सात जुलाई को जिला जज के अवकाश पर रहने के कारण 12 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई।

हिंदू पक्ष ने आवेदन के निस्तारण पर बल दिया तो मसाजिद कमेटी ने आपत्ति के लिए समय मांगा और 14 जुलाई की तिथि सुनवाई के लिए नियत की गई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव भी अदालत में मौजूद रहे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला जज की अदालत ने 14 जुलाई को आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। शुक्रवार को अपराह्न बाद जिला जज की अदालत ने मसाजिद कमेटी की आपत्ति को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष का आवेदन स्वीकार करते हुए एएसआई से सर्वे का आदेश दिया था।

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