Thursday, December 26, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को किया रद्द, जाने क्या दिया आदेश

- Advertisement -

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को किया रद्द, जाने क्या दिया आदेश

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द करते हुए अपने फैसले में कहा कि बांड के जरिए अधिकांश दान उन राजनीतिक दलों को गया है, जो केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ हैं।इसमें कहा गया है कि 2017-18 से 2022-23 तक राजनीतिक दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के विश्‍लेषण से पता चलता है कि चुनावी बांड के जरिए दान की रकम में भी काफी वृद्धि हुई है।

party wise donation

उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2017-18 में विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के जरिए 221 करोड़ रुपये का दान दिया गया था, जो वर्ष 2021-22 में 10 गुना से अधिक, कुल 2,664 करोड़ रुपये हो गया।

सूची में शीर्ष पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 2017-18 में बांड के जरिए कुल 210 करोड़ रुपये मिले और 2022-23 में दान बढ़कर 1,294 करोड़ रुपये हो गया।

RTI एक्ट का उल्लंघन करती है चुनावी बॉन्ड की योजना

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में गोपनीय का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत सूचना का अधिकार कानून का उल्लंघन करता है। अब शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पब्लिक को भी पता होगा कि किसने, किस पार्टी की फंडिंग की है। चार लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर चुनावी बॉन्ड स्कीम की वैधता को चुनौती दी थी। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है जिसका दूरगामी असर हो सकता है, खासकर लोकसभा चुनावों के मद्देनजर।

‘रिश्वतखोरी को कानूनी जामा पहनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती’

सुप्रीम कोर्ट ने आशंका जताई कि राजनीतिक दलों की फंडिंग करने वालों की पहचान गुप्त रहेगी तो इसमें रिश्वतखोरी का मामला बन सकता है। पीठ में शामिल जज जस्टिस गवई ने कहा कि पिछले दरवाजे से रिश्वत को कानूनी जामा पहनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस स्कीम को सत्ताधारी दल को फंडिंग के बदले में अनुचित लाभ लेने का जरिया बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने मतदाताओं के अधिकार की भी बात की।

फैसले में मौजूद तालिका, अन्य आंकड़ों के अलावा, संकेत देती है कि 2021-22 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) को 236 करोड़ रुपये मिले; पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 528 करोड़ रुपये मिले, तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके को 306 करोड़ रुपये मिले।पूरा मामला राजनीतिक दलों को गुप्त तरीके से चंदा देने की अनुमति वाले इलेक्टोरल बॉन्ड योजना से जुड़ा है। इस मामले पांच जजों की संविधान पीठ ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग से योजना के तहत बेचे गए चुनावी बॉन्ड के संबंध में 30 सितंबर, 2023 तक डेटा जमा करने को कहा था।

यह भी पढ़ें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का किया उद्घाटन, देखें वीडियो

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय दलों के लिए अज्ञात स्रोतों से आय का हिस्सा वर्ष 2014-15 से 2016-17 के दौरान 66 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018-19 से 2021-22 के दौरान 72 प्रतिशत हो गया।

इसमें कहा गया है, “वर्ष 2019-20 से 2021-22 के बीच बॉन्ड आय राष्ट्रीय पार्टियों की कुल अज्ञात आय का 81 प्रतिशत रही है।”

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि कुल अज्ञात आय, यानी 20,000 रुपये से कम का दान, कूपन की बिक्री आदि में कमी नहीं देखी गई है और वर्ष 2014-15 से 2016-17 के दौरान 2,550 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-19 से 2021-22 के दौरान 8,489 करोड़ रुपये हो गई है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच बांड आय राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की कुल आय का 58 प्रतिशत है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना आंकड़ों के विश्‍लेषण के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि चुनावी बांड योजना आनुपातिकता परीक्षण के संतुलन को पूरा करने में विफल रही है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, “हालांकि, मैं दोहराना चाहूंगा कि डेटा और सबूतों की सीमित उपलब्धता के कारण मैंने आनुपातिकता स्ट्रिक्टो सेंसु लागू नहीं किया है।”

उनकी राय में चुनाव आयोग (ईसी) की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा और याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत डेटा शामिल था।

हालांकि, न्यायमूर्ति खन्ना ने स्पष्ट किया कि अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा दिया गया सीलबंद लिफाफा अभी नहीं खोला है।

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि मतदाताओं को राजनीतिक दलों की फंडिंग का विवरण जानने के अधिकार से वंचित करने से विरोधाभासी स्थिति पैदा होगी और अन्‍य राजनीतिक दलों की फंडिंग नहीं हो सकेगी। चुनाव लड़ने वाले अन्‍य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के साथ अलग तरह का व्यवहार किया जा सकता।

- Advertisement -

3 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Market Updates
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
अन्य खबरे
Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com